जीने की कोशिश करता इंसान, मगर कहाँ वह जी पाता.. पेड़ से गिरी सूखी पत्तियों को पता है हमारा अतीतl तब, किसी की दबी-दबी सिसकियां मद्धम-मद्धम-सी चीखें.. कानों में पड़ती थीं तो दिल मोम की तरह पिघल जाता था, और आत्मा की खुशबू एक सपना बुनकर ढँक देती थी बहकी […]