तुम्हारा साथ छूटा जब,जमाना हो गया दुश्मन। अकेलापन खटकता है,नहीं खिलता ये मन गुलशन॥ नहीं चाहा कभी भी,गैर का जग में बुरा हमने। हमारी इस अच्छाई से नहीं बरसा कभी भी घन॥ अजब ये खेल किस्मत का,दिलों को दूर कर देता। निभाई दुश्मनी उसने,जिसे अर्पित किया यह तन॥ दिया जब […]