चंट चतुर चालाक छै, नेता नागर नाग। सीधे सादे सादगी, जनता जगती जाग। जनता जगती जाग,बबेरो बोल बणायो। आयो दौर चुणाव, घणेरो ढोल बजायो। कहे लाल कविराय,वोटाँ का घलगा घंट। जनता रही भोली, नेता वाँ बणगा चंट। . दल बदली नेता करै,छल बल धन की मार। जनता जोरी सूँ लड़ै […]