बेचने आई नीरु, पीले-पीले टेमरु। स्वाद लगे रसीला, जैसे खा रहे चीकू। देखकर बोला वीरु, माँ ले लो आए टेमरु। रसना नाच दिखाती, दांत आए दिखलाऊं। इसके नाम बतलाऊं, खिरनी,तेंदूफल,टेमरु। फागुनी बसंत में आए, मनभावन प्यारा टेमरु। (म.प्र. के धार जिले में ‘मांडव का मेवा’ नाम से प्रसिद्ध है तेंदूफल, खिरनी, […]

गर्दभ वाहन पर होकर सवार, शीतला माता देने आई दुलार। आगे चलें हनुमान,पीछे भैरव, माता देने आई शीतल बहार। दही संग शक्कर-चावल का, नेवैध बने अमृती रसधार। ठंडा भोजन बड़ा हीं गुणकारी, रक्तचाप रोग में नियंत्रण कार। चेचक,असाध्य रोग दूर होय, आएं जो रोगी माता के दरबार। तन-मन को रखो […]

गले कैसे मिलें भैया, जब पेट हो गए मोटे। फोकट में दिल्ली लूटे, जो सिक्के हैं खोटे। सारे रिश्ते नाते हो गए, आज के माहौल में छोटे। अपराधी मौज कर रहे, फरियादी खा रहे हैं सोटे। रंग लगाने किसको जाएं, लगाने से पहले हम सोचें। नवरंगी हो हमारा हर पल, […]

सब कहते शीतल , मनोरम है चांद, खूबसूरत इसे जग कहे पर यह शांत। तिमिर में करता है यह सदा उजाला, इसलिए तो बेदाग कहलाया है चांद। जब होती है रोजाना प्यारी-सी सांझ, मन को लुभाता ढ़लती सांझ में चांद। इसकी महिमा है,बड़ी ही निराली, व्रत तोड़ती है महिलाएं देखकर […]

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कागजों के ढेर लग गए हैं, स्याह हरफ़ों से रंगे कागज के। कागज भी हो गए अब काले, स्त्री पीड़ा की दास्तान कहते। चहुंओर घूम रहे हवस के भेड़िए, नारी की आबरु को लूटने। क्या अर्थ स्त्री सशक्तिकरण का, स्वतंत्रता दफन है कानूनी पन्नों में। पीड़िता मजबूर झूठे गवाहदारों से, […]

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(विश्व वन्यजीव दिवस पर विशेष ) हरियाली से भरपूर हो जंगल, वन्यजीव रहते आनंद-मंगल। धरा से घटती इनकी संख्या, देख आश्चर्यचकित होगा कल। मत फैलाओ जंगल में अनल, इनसे ही आता धरा पर जल। वन्यजीवों का करें संरक्षण, गुजारे ये भी खुशियों के पल। मोर,शेर,गाय,हिरण-चीतल, देखकर मन हो जाए शीतल। […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।