सैनिक को, *माँ* की पाती” ”””””””””””””””””””””””””””” . ( *लावणी छंद*) *पुत्र* तुझे भेजा सीमा पर, भारत माता का दर है। पूत लाडले ,गाँठ बाँध सुन, वतन हिफाजत तुझ पर है। ✍ त्याग हुआ है बहुत देश में, जितना सागर में जल है। अमर रहे गणतंत्र हमारा, आजादी महँगा फल है। […]
bohara
दिव्य जनों के,देव लोक से, कैसे,नाम भुलाएँगे। कैसे बन्धुः इन्द्रधनुष के प्यारे रंग चुराएँगे। सिंधु,पिण्ड,नभ,हरि,मानव भी उऋण कभी हो पाएँगें? माँ के प्रतिरूपों का बोलो, कैसे कर्ज चुकाएँगे। माँ को अर्पित और समर्पित, अक्षर,शब्द सहेजे है। उठी लेखनी मेरे कर से, भाव *मातु* ने भेजे है। पश्चिम की आँधी में […]