प्राणवंत हो सुप्त भावना, हो पूरण सब मनोकामना। वाणी में अमृत घुलता हो, बांहों का हार मचलता हो। अग्रज के सम्मुख हम नत हों, आदर्शों में अध्ययनरत हों। हो बीजारोपण ममता का, जहाँ पाठ पढ़े सब समता का। कर्मठता का मूल्यांकन हो, हर योग मणि-कांचन हो। घर-घर में तुलसी सेवा […]