Read Time1 Minute, 45 Second
जिसने साहस,धैर्य से,किया लक्ष्य संधान।
पथ प्रशस्त उसका हुआ,मिली उसे पहचान॥
कामयाब वह ही हुआ,जिसके दिल में चाह।
मंजिल तक लेकर गई,कहो किसे कब राह॥
पथ का संबल प्रेम यदि,रहे पथिक के पास।
मुश्किल झंझावात से,होता नहीं उदास॥
मार्ग वही होता उचित,जो सिखलाए प्रीति।
साथ अकिंचन के रहे,दूर करे उर भीति॥
देखो चलता जा रहा,कब से एक गरीब।
मंजिल छोड़ो राह के,पहुँचा नहीं करीब॥
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
परिचय: डाॅ. बिपिन पाण्डेय की जन्मतिथि- ३१अगस्त १९६७ एवं जन्म स्थान-ग्राम रघुनाथपुर (ऐनी-ब्रम्हावली,औरंगाबाद)है।आप उत्तर प्रदेश राज्य के शहर-सीतापुर से सम्बन्ध रखते हैं। शिक्षा-एम.ए., एल.टी. और पी-एच.डी. है। आपका कार्यक्षेत्र-पी.जी.टी.(हिंदी)में अध्यापन है। लेखन में आपकी विधा पद्य (दोहा,कुंडलिया ,गीतिका)आदि सहित छंद बद्ध लेखन है। प्रकाशन में आपके नाम-कुंडलिनी लोक( साझा संकलन) तथा दोहा संगम(संपादित) है। सम्मान के रुप में कुंडलिनी रत्न सम्मान(लखनऊ)और दोहा शिरोमणि सम्मान खटीमा,उत्तराखंड) हासिल है। साथ ही आप ‘नेट’ एवं जेआरएफ़ पात्रता धारी भी हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-स्वांतः सुखाय है।
Post Views:
335