सजीवन  प्राण देता है, सहारा  गेह का होते। कहें कैसे विधाता है,पिताजी कम नहीं होते। मिले बल ताप ऊर्जा भी, .                     सृजन पोषण सभी करता। नहीं बातें दिवाकर की, .                      पिता भी कम नही तपता। मिले चहुँओर से रक्षा,करे हिम ताप से छाया। नहीं आकाश की बातें,पिताजी में यहीं माया। […]

सभी से है निवेदन ये, हमारी मान लो भैया। मिलेगा दूध घी नीका, घरों में पाल लो गैया। गुजारा गाय के संगत, हमारा भी सही रहना। गऊ तो  मातु होती हैं, करें सम्मान है कहना। दशा देखो  जरा  गाएँ, सरे  राहों  विचरती है। लगे  ऐसे  कि  ये गायें, हमारी राह  […]

डम डम डमरू  बजे शिवरात में। बम बम सबही कहे अब साथ में। जय शिव जय पार्वती कह आरती। जन गण मन शिंभु  शंकर  भारती। सर हद पर वीर धीर सँभालते। हर हर  बम  भारतीय उचारते। सजग सकल देश शिंभु कृपा रखे। मनुज  मन  रहे  सनेह  दया  सखे। नियति  नियम […]

चिड़ीमार मत काँव काँव कर, काले काग रिवाजों के। वरना हत्थे चढ़ जाएगा, मेरे  उड़ते  बाज़ों के। बुज़दिल दहशतगर्दो सुनलो, देख थपेड़ा ऐसा भी। और धमाके क्या झेलोगे, मेरे यान मिराजों के। तू जलता पागल उन्मादी, देख भारती साजों से। देख हमारे बढ़े कदम को, उन्नत सारे काजो से। समझ […]

आओ सभी भारत के निवासी। चालें चली है अब जो सियासी। पाकी  पड़ोसी  करता जिहादी। आतंक  भारी  ज्वर है मियादी। .       सीमा  सुरक्षा  अपनी करेंगे। .       आतंक  कारी  हमसे  डरेंगे। .       माँ भारती है हमसे सुभागी। .       होने न देंगे  उसको अभागी। सींची  लहू  से धरती हमारी। कैसे लुटा दें […]

…       *कविजन कान्हा वाली* सेना सारी, सरहद  चौकी आती। आतंकी  की, धड़कन  है थर्राती। हे  माताओं, ललन  तुम्हारे प्यारे। माँ  की आशा, वतन सुरक्षा धारे। आजादी की, सरगम खोते पापी। आतंको से, यह धरती माँ  काँपी। गीता गाएँ,कविजन कान्हा वाली। हो तैयारी, रण अब  बाजे  ताली। शेरों की माँ, निडर […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।