सर बहती हवा कह रही

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reeta sinh
सर सर बहती हवा कह रही
मत काटो मनुज पँख हमारे ,
स्वस्थ साँस का स्रोत यही हैं
समझो सच जीवन का प्यारे ।
नहीं रहेंगे विपिन अगर तो
कैसे बदरा मोहित होंगे ,
बरखा रानी के दर्शन को
तरस रहे भू अंबर होंगे ।
तेज ताप का होगा नर्तन
बवंडर मृदंग बजायेंगे
तृप्त न होंगे कंठ जीव के
सब हा हा कार मचायेंगे।
विज्ञान लाचार सा दिखेगा
सुख सँसाधन मुँह चिड़ायेंगे ,
मनमाने कोप प्रकृति के
सब मिलकर बहुत रुलायेंगे ।
जागो मानव अब भी जागो
नहीं भोग के पीछे भागो ,
श्वास महकती यदि लेनी है
लोभ ऊँचे भवन का त्यागो ।
वृक्ष रोपण और जल संरक्षण
 फ़र्ज़ ये निभाने ही होंगे ,
चूक यदि हो गयी इनमें तो
मंजर बहुत भयावह होंगे ।
#डॉ रीता सिंह
 परिचय –
 डॉ रीता (असि. प्रोफेसर ) 
राजनीति विज्ञान विभाग
एन के बी एम जी ( पी. जी.) कॉलेज ,
चन्दौसी (सम्भल) , उत्तर प्रदेश 
साहित्यिक परिचय –
 ‘अन्तर्वेदना ‘ नाम से एक काव्य संग्रह प्रकाशित ।
 साहित्य अमृत , कादम्बिनी , मुक्ता , सरिता , हस्ताक्षर वेब पत्रिका , प्रेरणा अंशु आदि  पत्रिकाओं , विभिन्न समाचार पत्रों , शोध पत्रिकाओं आदि में काव्य  रचनाओं , आलेखों व शोध पत्रों का प्रकाशन ।
 वर्तमान सृजन , अखिल भारतीय आध्यात्मिक साहित्यिक काव्यधारा , काव्यामृत , शुभमस्तु , प्यारी बेटियाँ , धामपुर के कवि एवं साहित्यकार आदि साझा काव्य संग्रहों  में काव्य रचनाओं का प्रकाशन ।
 नवोदित साहित्यकार मंच , कवितालोक व आगाज़ आदि विभिन्न साहित्यिक मंच द्वारा सर्वश्रेष्ठ रचना सम्मान से सम्मानित , अखिल भारतीय आध्यात्मिक साहित्यिक संस्था काव्यधारा व विभिन्न साहित्यिक सामाजिक संस्थाओं द्वारा ‘ काव्य प्रज्ञा ‘  व ‘ साहित्य मनीषी , साहित्य सृजक ‘ आदि ‘सम्मान से सम्मानित , अक्षर प्रकाशन आदि  द्वारा सम्मानित ।
 पता –  नई दिल्ली

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