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लोग साथ होकर भी ,हमनवा क्यू नही होते।
बातें बहुत करते है,हमजुबां क्यू नही होते।
एक दहशत सी तारी है हर एक बस्ती मे
गर आदमी है तो हम, इंसा क्यू नही होते।
सजाये रखते हैं जिनको हम दिल के शीशे में
मेरे गमगीन होने पर वो गमजदा क्यू नही होते।
बहुत से लोग मिलते है दौर ए हयात में यूं तो
दिलों में बसने वालो से बदगुमां क्यू नही होते।
तोङ जाते हैं जो एक रोज़ हर रिशता रूह से
बस दिल से रूख्सत उनके अरमां क्यू नही होते।
#सुरिंदर कौर
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