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गुरुपूर्णिमा के पवन अवसर पर गुरु चरणों में समर्पित…………………….
माता पिता ने पैदा किया, पर दिया गुरु ने ज्ञान /
लाड प्यार दिया दादा दादी ने /
पर गुरु ने दिया अच्छे बुरा का ज्ञान /
उठे हृदय में जब भी विकार /
तब उन्हें गुरु ने कर दिया एक दम शांत /
तभी तो कहता हूँ में ……………..
गुरु ही सांस और गुरु ही आस है /
गुरु ही प्यास और गुरु ही ज्ञान है /
गुरु ही ससांर और गुरु ही प्यार है /
गुरु ही गीत और गुरु ही संगीत है /
इसी में बसी है गुरु से हमारी प्रीत //
गुरु ही जान है, गुरु ही आलंबन है /
गुरु ही दर्पण और गुरु ही धर्म है /
गुरु ही कर्म और गुरु ही मर्म है /
बिना गुरु के हम और आप कुछ नहीं है /
बस हृदय में गुरु ही गुरु बसे है //
गुरु ही सपना और गुरु ही अपना है /
गुरु ही जहान और गुरु ही समाधान है /
गुरु ही आराधना और गुरु ही उपासना है /
गुरु ही आदि और गुरु ही अन्त हैै /
तभी तो गुरु के प्रति जगा है अनंत प्रेम //
गुरु ही साज और गुरु ही वाद्य है /
गुरु ही भजन और गुरु ही भोजन है /
गुरु ही जप और गुरु ही वंदना है /
गुरु ही प्यारा और गुरु ही न्यारा है /
इसलिए तो आत्मा में वो समाया है //
गुरु ही वन्दना और गुरु ही मनन है /
गुरु ही चिंतन और गुरु ही वंदन है /
गुरु ही चन्दन और गुरु ही नंदन है /
तभी तो सब करते गुरु का ही अभिनन्दन //
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
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