सारा जग कर रहा जिन्हें याद,
ऐसे थे हमारे चंद्रशेखर आजाद।
सर पर बांधकर क्रांतिकारी ताज,
आजादी के लिए किया आगाज।
अंग्रेजों को देख ताव देती थी मूंछ,
याद दिलाया इनको छठी का दूध।
क्रांतिकारी जयघोष करती बंदूक,
देश को ही माना इन्होंने सबकुछ।
कुटिल चालों से देश हो रहा बर्बाद,
फिर आ जाओ तुम बनकर आजाद।
सबक सिखला दो राष्ट्रद्रोहियों को,
चल पड़े जिस राह पर ये नाशाद।
#गोपाल कौशल
परिचय : गोपाल कौशल नागदा जिला धार (मध्यप्रदेश) में रहते हैं और रोज एक नई कविता लिखने की आदत बना रखी है।