किताबे रो रही थी

0 0
Read Time1 Minute, 58 Second

nirvisha

इन रिमझिम बारिश कि सिसकियो में
मुझे एक और सिसकी सुनाई दे रही है
हा,  इन बून्दो कि गपशप मे
मुझे एक और झीडकी सुनाइ दे रही है

वो किताबे कुछ कहना चाहती है
जो मेरी अलमारी मे अस्त व्यस्त पडी है
पर कैसे समझु मे उनकी बाते
जो मुझे समझ चुकी है

शायद वो कहना चाहती है
छोड दो मुझे इस बारिश मे भीगने को
मैं वहा चली जाना चाहती हु
जहा से तुम मुझे लाइ हो
मैं उन पेडो के पास जाना चाहती हु
जहाँ से मे जन्मी हु
उस हवा को महसुस करना चाहती हु
इन पेडो के संग झुमना चाहती हु

मै सम्मोहित हो उठी
किताबे हाथ मे ले बाहर आइ
बारिश थम चुकी थी
मैने किताबो को देखा
इक्का दुक्का पानी कि बून्दे फ़िसल रही थी
किताबे रो रही थी|

नाम :- निर्विशा नागदा
वर्तमान पता:- मनासा 
जिला :- नीमच 
मध्य प्रदेश 
शिक्षा:- B.sc अंतिम वर्ष 
कार्यक्षेत्र:- कोचिंग सन्चालन 
विधा:- 
कविता और कहानी 

अभी तक सिर्फ विद्यालय और महाविधालय कि और से प्रकाशित पत्रिकाओ मे कुछ कविता कहानी प्रकाशित हुई है ,और बस वही से प्राप्त कुछ प्रशस्ति पत्र है ,अञ कोई सम्मान नहीं|

लेखन का उद्देश्य:- 
मेरे लेखन का उद्देश्य है लेखन के माध्यम से समाज मे समानता व विभिन्न मुद्दों के प्रति सकारात्मकता लाने का प्रयत्न और नारीवाद को हिन्दी रुप से सशक्तता प्रदान करना है|

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

कर्तव्यबोध

Tue May 22 , 2018
पहाडिय़ों की गोद में बसा झारखंड का छोटा सा गाँव, प्राकृतिक सौन्दर्य और हरे-भरे वृक्षों के साथ  मानो मानव का झूम झूम कर स्वागत कर रहे थे।इस गांव के प्राथमिक विद्यालय में उसकी शिक्षक के पद पर नियुक्ति हुई थी।       शहरी चकाचौंध से कोसों दूर ग्रामीण परिवेश […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।