इन रिमझिम बारिश कि सिसकियो में
मुझे एक और सिसकी सुनाई दे रही है
हा, इन बून्दो कि गपशप मे
मुझे एक और झीडकी सुनाइ दे रही है
वो किताबे कुछ कहना चाहती है
जो मेरी अलमारी मे अस्त व्यस्त पडी है
पर कैसे समझु मे उनकी बाते
जो मुझे समझ चुकी है
शायद वो कहना चाहती है
छोड दो मुझे इस बारिश मे भीगने को
मैं वहा चली जाना चाहती हु
जहा से तुम मुझे लाइ हो
मैं उन पेडो के पास जाना चाहती हु
जहाँ से मे जन्मी हु
उस हवा को महसुस करना चाहती हु
इन पेडो के संग झुमना चाहती हु
मै सम्मोहित हो उठी
किताबे हाथ मे ले बाहर आइ
बारिश थम चुकी थी
मैने किताबो को देखा
इक्का दुक्का पानी कि बून्दे फ़िसल रही थी
किताबे रो रही थी|
नाम :- निर्विशा नागदा
वर्तमान पता:- मनासा
जिला :- नीमच
मध्य प्रदेश
शिक्षा:- B.sc अंतिम वर्ष
कार्यक्षेत्र:- कोचिंग सन्चालन
विधा:-
कविता और कहानीअभी तक सिर्फ विद्यालय और महाविधालय कि और से प्रकाशित पत्रिकाओ मे कुछ कविता कहानी प्रकाशित हुई है ,और बस वही से प्राप्त कुछ प्रशस्ति पत्र है ,अञ कोई सम्मान नहीं|
लेखन का उद्देश्य:-
मेरे लेखन का उद्देश्य है लेखन के माध्यम से समाज मे समानता व विभिन्न मुद्दों के प्रति सकारात्मकता लाने का प्रयत्न और नारीवाद को हिन्दी रुप से सशक्तता प्रदान करना है|