इन रिमझिम बारिश कि सिसकियो में मुझे एक और सिसकी सुनाई दे रही है हा, इन बून्दो कि गपशप मे मुझे एक और झीडकी सुनाइ दे रही है वो किताबे कुछ कहना चाहती है जो मेरी अलमारी मे अस्त व्यस्त पडी है पर कैसे समझु मे उनकी बाते जो मुझे […]
nagada
माँ के आंचल में लेकर किलकारी, बोलना सीखते अपनी मातृभाषा। जिसमें बुने जाते हैं मीठे-मीठे रिश्ते, पाकर जिसे पूरी हो हर अभिलाषा। बरगद-सी,अमराई-सी है मातृभाषा, फैली है हमारे अंदर इसकी आभा। समाज,परिवार,देश की मजबूती, गठबंधन बनाए रखती है मातृभाषा। बहुत दुखती है,हिन्दी की अंतरात्मा, जब हम शान से बोलते अंग्रेजी […]