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छुपा कर तुम भी,
मेरे दिल को रखती हो,
अपने दिल के पास,
मालुम है, दुनिया के झमेले में
कहीं खो न जाये |
छुपा कर हम भी तेरी
तसवीर अपनी पनाहों में रखतें हैं |
तुम्हे पता है की तुम से बिछड़ के
कहां रह पातें हैं हम |
छुपा कर मुहब्बतें जमाने से
हम युं करते है एक दुसरे को
की खबर न होती है
और गुल का महकना
सरे आम हो जाता है |
छुपा कर हम तुम्से और तुम हमसे
कुछ बातें करते है
उन अकेले लमहों में
की पता ही न चला आज तक
ये मुहब्बत कहां तक अंतहीन सी हो गयी..|
#म्रुदुल जोशी
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