इन लकी़रो में कहीं नही है
तुम्हारा नाम,
फिर भी इन्तज़ार करती रहूंगी मै
युगो युगो तक।
तुम्हारी कविताओ में हमेशा
मौजूदगी एहसास कराती रहेगी
अपने साथ का,
जिस्म के जल जाने के बाद
वैसे तो सब खत्म हो जाता है
मगर मै जिन्दा रहूंगी तुम्हारे छंदो में
तुम्हारी कहानियो में,
मै हमेशा रहूंगी,
सब बदल जायेगा ये जमीं ये आसमां
ये चांद सितारे सब अपनी जगह बदल देंगें
फिर भी तुम्हारी कविताओ में
मै रहूंगी ध्रुव कि तरहा, अटल।
ओर मै तुमसे मिलती रहूंगी,
कही न कही तुम्हारे शब्दो के शब्दांश में।।
#सतेन्द्र सेन सागर
नाम -सतेन्द्र सेन सागर
साहित्यिक उप नाम- सागर
वर्तमान पता- नई दिल्ली
शिक्षा- बीबीए(मार्केटिंग) , बीए(शास्त्री संगीत)
कार्यक्षैत्र- अर्धसैनिक बल
विधा- मुक्तक, काव्य, दोहा, छंद
सम्मान- साहित्य सागर रचनाकारअन्य उपलब्धिया- आखर नामक काव्य संग्रह मे रचनाए प्रकाशित, देश भर के विभिन्न राज्यो के अखवारो ओर ब्लॉग में रचनाओं का प्रकाशन।
लेखन का उद्देश्य – एक सोच को जन्म देना, प्रेम के प्रति नजरिया बदलाव एवं एक इंकलाबी लेखक बनने का प्रयाश