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प्रेम अव्यक्त एहसास है
न मिटने वाला जज़्बात है
ये महसूसता है
अपनापन
उसे शब्दों में
बांध पाना
संभव नहीं
वह तो
अनुभव का अहसास है
उस छुअन का
मखमली स्पर्श का
जो असहनीय पीड़ा में
भी राहत का मलहम है
प्रेम वह मौन भाषा है
जो प्रेमी ही पढ़ पाये
हानि-लाभ की
भावनाओं से निर्लिप्त
प्रेम अजस्र नदी की धारा सम
ह्रदय में प्रेमी की मंगलकामना लिए
सच में
प्रेम अलौकिक,अद्भुत
अनिवर्चनीय सुख है।
#रेनू शर्मा ‘शब्द मुखर ‘
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Bahut accha shabdo ka sahi chayan.good keep it up n God bless you.