रोज पढ़ता हूं तेरा चेहरा…

0 0
Read Time1 Minute, 59 Second
vandana
है वफ़ा मेरी मुकम्मल इक रिवायत की तरह,
काश आते ज़िन्दगी में तुम इनायत की तरह।
तुझसे मिलना बन्दगी से कम नहीं हर्गिज़ सनम,
मैंने देखा है सदा तुझको इबादत की तरह।
अश्क तेरे मुझसे हरगिज़ छुप नहीं सकते कभी,
रोज़ पढ़ता हूँ तेरा चेहरा किसी ख़त की तरह।
नाम लेकर मैं उसी का काम करता हूँ शुरू,
ज़िन्दगी में अब भी शामिल है वो मुहरत की तरह।
देर से तो देर से मय्यत पे मेरी आया तो,
या मुहब्बत की तरह से या शिकायत की तरह।
छू सका उसको न पाने की ही की कोशिश कभी,
क़ैद दिल में मुद्दतों से था अमानत की तरह।
महजबीं की सिम्त मैंने गुल उछाला था कभी,
सर हिलाया उसने अपना भी इजाज़त की तरह।
आख़िरश आ ही गई वो शाम आँगन में मेरे,
साथ चल दी ज़िन्दगी उसके शराफ़त की तरह।
बोलता दिन-रात सर चढ़कर नशा इक ‘वन्दना’,
कौन क़ाबिज़ है ज़ेहन पर मेरे शौहरत की तरह॥

                #वंदना मोदी गोयल

परिचय : वंदना मोदी गोयल, फरीदाबाद में रहती हैं। शिक्षा एमए(हिन्दी)और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है।प्रकाशित कृतियों में उपन्यास ‘हिमखंड,’छठापूत’ सहित सृजन सागर कथा संग्रह,साझा संकलन आदि हैं। आपकी साहित्यिक उपलब्धियों में पिरामिड शीरी सम्मान, काव्य गौरव सम्मान,सारस्वत सम्मान,
साहित्य रतन सम्मान और मुक्तक सम्मान प्रमुख हैं,साथ ही आप मंच पर काव्य पाठ भी करती हैं। अच्छा साहित्य पढ़ना और पुराने गाने सुनना आपका शौक है।

Arpan Jain

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

ताज बेमिसाल

Mon Feb 19 , 2018
बनाकर ताज शाहजहां ने, दुनिया को  तोहफा दिया है।  हर आशिक की यादों में,  मुमताज को जिंदा कर दिया है॥  संगमरमर से तराशा है,  मुहब्बत की निशानी को।  जज्बातों से लिख दिया,   प्यार की कहानी को॥  मिसाल ए मुहब्बत को,   रूबरू-ए-दुनिया रख़ दिया है।  हर आशिक की यादों […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।