कोरोना से बिगड़ता वैश्विक आर्थिक परिदृश्य

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कोरोना बंदी से आर्थिक संकट का होना एक संपूर्ण सत्य है। जिसे देश ही नहीं अपितु विश्व के तमाम देश समझ रहे हैं । आने वाला समय बहुत कठिनाइयों और चुनौतीयो से भरा होगा।यह केवल आम लोगो को ही नही अपितु तमाम देश की सरकारों पर भी असर डालेगा ऐसा तमाम आर्थिक विशेषज्ञ आशंका व्यक्त कर चुके हैं।अभी तक संक्रमितो की संख्या 50 लाख पहुँच चुकी जबकि मृतको की संख्या 3 ▪25 लाख पार कर रही है।

■बंदी के कारण दुनिया भर के शेयर बाजार गिर चुके हैं।ऐसी आशंका है कि विश्व में कोरोना महामारी से 2.5 से 3 करोड़ लोगों के रोजगार पर संकट के बादल छाये हुए है।फलतः वैश्विक अर्थव्यवस्था को 3.6 लाख करोड़ डॉलर का झटका लग सकता है जिससे आर्थिक एवं श्रम संकट बढेगा। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने अपने अध्ययन में कहा है कि वैश्विक स्तर पर एक प्रभावी श्रम नीति बनाने की आवश्यकता है ताकि नुकसान की भरपायी किया सके ।

■अनेक शहरो में कामबंदी और व्यापारिक गतिविधियां ठप हो जाने से नुकसान हुआ।प्रभावित देशो में बेरोजगारी दर तेजी से बढ़ रही है। कोरोना वायरस ने दुनिया की अर्थव्यस्था की नींव को हिला कर रख दियाहै। इसके चलते वस्तुओ की मांग और पूर्ति दोनो की चेन टूट गयी है।

■जबसे यह जहर देश और दुनिया में फैला है तमाम ताकतवर मुल्क वेवश और लाचार नजर आने लगे हैं ।इसके फैलने की गति काफी तीव्र है।दिन प्रतिदिन मौत का बढ़ता आंकडा डराने वाला है।तमाम मुल्क लाॅकडाउन में चले गये सारी आर्थिक गतिविधियाँ रूक गयी।

■ फैक्ट्रीयाँ बंद कर दी गयी उत्पादन रूक गया ।बाजार बंद है।ऐसे में पुनः इन्हें पटरी पर लाना दुनिया के लिए चुनौती बना हुआ है।सरकार भी जरूरी सेवा के लिए विगत महीनो से लगातार खर्च करती जा रही है।सरकार की आमदनी भी रूकी हुई है ऐसे में धन की कमी प्रायः दुनिया के समक्ष होगी जिसे पूरा करना कठिन सबक है।

■अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों में 50 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आ चुकी है।महामारी का दुनिया के व्यवसायों पर असर देखा जा सकता है, जहां कंपनियां अपने उत्पादन कम कर रही हैं, जिससे कर्मचारियों के समक्ष वेरोजगारी का भय सताने लगा है।
■एशियन डेवलपमेंट बैंक ने अनुमानतः कहा है कि कोरोना से दुनिया की अर्थव्यवस्था को 77 बिलयन डॉलर से 347 बिलयन तक यानि वैश्विक जीडीपी का 0.1 प्रतिशत से 0.5 प्रतिशत तक का नुकसान हो सकता है।

■ “सोशल डिस्टेंशिंग के बाद समुद्री पर्यटन, एयरलाइंस, होटल्स, कसिनो, खेलों के कार्यक्रम, मूवीज, थिएटर्स, रेस्टुरेंट और अन्य उद्योगों पर व्यापक असर हुआ है ।”अमेरिका समेत दुनियाभर की अर्थव्यवस्था पर सीधा असर दिख भी रहा है।कोरोना वायरस के चलते वैश्विक अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई और आर्थिक मंदी की तरफ बढती नजर आने लगी है जो 2008 की मंदी से भी बडी चुनौती है।

“आशुतोष”

नाम। – आशुतोष कुमार
साहित्यक उपनाम – आशुतोष
पटना ( बिहार)
कार्यक्षेत्र – जाॅब
शिक्षा – ऑनर्स अर्थशास्त्र
प्रकाशन – नगण्य
सम्मान। – नगण्य
अन्य उलब्धि – कभ्प्यूटर आपरेटर
टीवी टेक्नीशियन
लेखन का उद्द्श्य – सामाजिक जागृति

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।