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शिक्षण है कर्म मेरा,सुअनील बहाता हूँ।
कर्म में हम रत रहें,यही ध्यान लगाता हूँ॥
गाँव बम्बू में जन्म लेकर, शिक्षा यही पाई है।
शिक्षा पाकर बड़ा बन बेटा,ये दुनिया पराई है॥
दुनिया पराई है तभी,अपनी जानकर अपनाई है।
सबको जीवन दिया माँ ने,कहते ईश्वर ने दुनिया बनाई है॥
मातृ रज़ में पले बढ़ें,संकल्प से यही तान अपनाई है।
तान का नित गान हो ह्रदय में,मानव ने शान बढ़ाई है॥
शान मानव की स्वयं बढ़ाएँ,दानव का नाश करना है।
सुशिक्षा से संकल्प लेकर,माँ भारती का दास बनना है॥
#सुनील कुमार पारीक ‘शनि’
परिचय : सुनील कुमार पारीक का साहित्यिक उपनाम-शनि हैl आपकी जन्मतिथि-१ दिसमबर १९८९ तथा जन्म स्थान-सिकराली (राजस्थान) है। वर्तमान में आपका निवास राजस्थान राज्य के चुरू जिला स्थित गाँव-बम्बू में हैl बी. ए.,बी.एड.,एम.ए.(हिन्दी) तथा एम.एड. शिक्षित श्री पारीक का कार्यक्षेत्र-व्याख्याता (हिन्दी) हैl आपको कविता लिखना अधिक पसंद है। आपके लेखन का उद्देश्य-मातृभाषा का विश्व में प्रसार करना है।
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