“न जाने कहाँ खो गए”

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sadhana chirolya
“वो पीपल की छाँव,
वो रस्सी के झूले।
वो गुड्डे की शादी,
वो मामुलिया के गाने।।
न जाने कहाँ खो गये।
वो रेत के घर,
वो सीप और पत्थर।
वो मंदिर की होली,
वो टेशू के रंग।
न जाने कहाँ खो गये।।
वो कागज की नाव,
वो वर्षा की बूंदें।
वो कागज के पैसे,
वो मीना बाजार,
न जाने कहाँ खो गये।।।
वो चंपा,चमेली,
वो जूही और बेला।
वो रात की रानी,
न जाने कहाँ खो गये।।।।
वो आँख-मिचौली,
वो छुपम-छुपाई।
वो गिल्ली,
वो डंडा।
न जाने कहाँ खो गये।।।।
वो बंदर,मदारी,
वो रंगीन कठपुतली।
वो कुश्ती,
वो दंगल।
न जाने कहाँ खो गये।।।
वो शादी की गारी,
वो होली की फागें।
वो आल्हा,
वो ऊदल।
न जाने कहाँ खो गये”

#श्रीमती साधना छिरोल्या

 दमोह (म.प्र.)

सम्मान- भाषण,नाटक,वाद विवाद,श्लोक,सुलेख,लोकगीत आदि विभिन्न प्रतियोगिताओं में पुरुस्कार।

गहोई समाज एवं हितकारिणी स्कूल जबलपुर द्वारा हिंदी काव्य लेखन के लिये सम्मानित।
 प्रकाशन-गहोई सूर्य अख़बार जबलपुर
गहोई संस्कार पत्रिका जबलपुर(म.प्र.)
गहोई बंधु 
ग्वालियर(म.प्र.)
लोकजंग
लगातार प्रकाशित हो रहीं हैं।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।