आज फिर दिल ने एक नगमा गाया है,
मुद्दतों बाद कोई हमें याद आया है।
उन पुराने पन्नों से धूल सारी उड़-सी गई,
सूखी स्याही ने भी कुछ लिखना चाहा है।
बुझे चिरागों से रोशनी-सी आई है,
खिजा के फूलों ने फिज़ा महकाई है।
दिल-ए-तन्हा आज फिर मुस्कुराया है,
मुद्दतों बाद कोई हमें याद आया है।
आज रंगे शमा खिला-खिला-सा है,
अंदाजे शोर कुछ महफिल-सा है।
प्यासे प्यालों ने जी भर के ज़ाम पाया है,
मुद्दतों बाद कोई हमें याद आया है।
#सुमित अग्रवाल
परिचय : सुमित अग्रवाल 1984 में सिवनी (चक्की खमरिया) में जन्मे हैं। नोएडा में वरिष्ठ अभियंता के पद पर कार्यरत श्री अग्रवाल लेखन में अब तक हास्य व्यंग्य,कविता,ग़ज़ल के साथ ही ग्रामीण अंचल के गीत भी लिख चुके हैं। इन्हें कविताओं से बचपन में ही प्यार हो गया था। तब से ही इनकी हमसफ़र भी कविताएँ हैं।
Best of luck