धूप और छांव

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satish mapatpuri

धूप और धूप ही तो हर तरफ पसर गई।
छांव तो बदल ली,छांव जाने किससे डर गई,
तीखी धूप लग रही है हाट में-बाजार में।
लूटने का चलन देखो सेठ-साहूकार में,
छांह की पनाह खोजते गरीबी मर गई।
छांव तो बदल ली,ठांव जाने किससे डर गईll
लम्बी-चौड़ी बातें करके जाने वो किधर गए,
छाया देंगे आपको ये कह के वो मुकर गएl
रूप देख धूप के ये ज़िन्दगी सिहर गई,
छांव तो बदल ली,ठांव जाने किससे डर गईll
मैले-कुचैले वस्त्र पर धवल कमीज चढ़ गई,
जो थे लुच्चे,आज मगर शान उनकी बढ़ गई।
वोट में जो खोट की,वो चोट दिल में भर गई,
छांव तो बदल ली,ठांव जाने किससे डर गईll

#सतीश मापतपुरी

परिचय : सतीश मापतपुरी की जन्मतिथि-१८ मई १९५९
तथा जन्मस्थान-ग्राम मापतपुर(जिला-कैमूर,बिहार) हैl आप 
वर्तमान में पटना के रूपसपुर में रहते हैंl बिहार निवासी श्री मापतपुरी हिन्दी में स्नातकोत्तर तक शिक्षित होकर सरकारी सेवा में हैंl सामाजिक क्षेत्र में सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि से आपका जुड़ाव हैl लेखन विधा-छंद,गीतिका,गीत,मुक्तक, ग़ज़ल,कहानी,पटकथा एवं संवाद हैl आपके नाम से प्रकाशन में २ उपन्यास और १ साझा काव्य संकलन हैl बात सम्मान की करें तो टेलीफिल्म `नयना` के लिए सर्वश्रेष्ठ गीतकार का डेकइया पुरस्कार,धारावाहिक `दिदिया` के लिए सर्वश्रष्ठ लेखक का पुरस्कार पाने के साथ ही कई साहित्यिक समूहों से भी सम्मानित हुए हैंl अधिकांश पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,लेख तथा कविता का प्रकाशन हुआ हैl उपलब्धि यही है कि,कई धारावाहिकों के लिए कहानी,गीत,पटकथा और संवाद लेखन किया है,जिनका प्रदर्शन-प्रसारण दूरदर्शन सहित चैनल पर हुआ हैl भोजपुरी फिल्मों के लिए आपके रचित गीतों को पार्श्व गायकों अनुराधा पौडवाल,कविता कृष्णमूर्ति,मधु श्री और उदित नारायण ने भी आवाज दी हैl आपके लेखन का उद्देश्य-हिन्दी के विकास और प्रचार-प्रसार में यथासम्भव सहयोग प्रदान करना हैl

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मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।