सुना विश्व को निज विचार,
बदली उसके पथ की धारl
जहां विश्व हो भ्रमित खड़ा था,
गंतव्य दिशा के बंद पटों को दिया वहीं पर खोल, जिसने जाना जीवन मोलl
जब तम ने था सब-कुछ घेरा,
डाल रश्मि स्त्रोतों पर डेरा
तत्व धाम थे सभी अगोचर,
तब निज को ही जला स्वयं ही जगमग किया खगोल, जिसने जाना जीवन मोलl
स्वर स्वयं था मौन खड़ा जब,
शोषक स्वर था एक बड़ा जब
मुंह को सिलना था कर्तव्य,
तब विकल मौन हाहाकारों में निज का परिचय दिया बोल, जिसने जाना जीवन मोलl
देवासुर के भीषण रण में,
देवों के पराजय क्षण में
मानवता की लाज बचाने,
तब हड्डी का वज्र बनाने
मृत्यु तुला पर दिया स्वयं को तौल,
जिसने जाना जीवन मोलll
#अनूप सिंह
परिचय : अनूप सिंह की जन्मतिथि-१८ अगस्त १९९५ हैl आप वर्तमान में दिल्ली स्थित मिहिरावली में बसे हुए हैंl कला विषय लेकर स्नातक में तृतीय वर्ष में अध्ययनरत श्री सिंह को लिखने का काफी शौक हैl आपकी दृष्टि में लेखन का उद्देश्य-राष्ट्रीय चेतना बढ़ाना हैl