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जो ज़िन्दा था ज़माने में,उसी को मार आए हो,
बहुत नादान लगते हो,सभी कुछ हार आए हो।
ग़रीबों पर दया करते,बुज़ुर्गों की दवा करते,
ख़ुदा को भूलकर मस्जिद में अब बेक़ार आए हो।
ज़रा-सा शायरी करना सुख़नवर से नहीं सीखा,
अभी से शोहरतें पाने भरे दरबार आए हो।
जिसे यारों ने मिल-जुलकर कभी धोखे से मारा था,
उसी को मारने फिर से,मेरी सरकार आए हो।
तुम्हारे वास्ते जिन्होंने ख़ुशियाँ ही ख़रीदी थी,
उन्हीं को बेचने कैसे सरे बाज़ार आए हो।
तुम्हारी याद में हमने जो प्यारा घर बनाया था,
उसे भी छीनने हमसे,हमारे यार आए हो।
बिना बोले,इशारों में वो सारी बात कह देना,
उसे ऐसा लगे,बन के कोई पतवार आए हो।
अभी तो देश की मिट्टी का सारा कर्ज़ बाक़ी है,
लुटेरों की तरह ‘सोनू’ समन्दर पार आए हो॥
#सोनू कुमार जैन
परिचय : १९८६ में जन्मे सोनू कुमार जैन,सहारनपुर के रामपुर मनिहारान (उत्तरप्रदेश) के निवासी हैं। सहारनपुर जिले में सरकारी अध्यापक के पद पर कार्यरत हैं। इन्होंने बीएससी के पश्चात बीएड,एमए(अंग्रेजी साहित्य)किया और अब हिन्दी साहित्य से एमए कर रहे हैं। मुक्तक,कविता,गीत, ग़ज़ल,नज़्म इत्यादि लिखते हैं। योग विधा से भी वर्षों से जुड़े हुए हैं और मंचों से योग प्रशिक्षण एवं योग शिविर इत्यादि संचालित करते हैं।
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