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माँ की गोद में सोइए,माँ है सुख की छाँव।
चरण पिता के छूइए,जिनके छाले वाले पाँव॥
माँ घर की लक्ष्मी,भरा रखे वो भण्डार।
पिता घर के कुबेर,हमारे हैं वो कर्मधार॥
माँ फूलों की बगिया,महकाए हर क्यारी।
अपने बच्चों की हर अला-बला उसने अपने ऊपर वारी॥
अपनी दुःख तखलीफ़ को सबसे रखता दूर।
प्रेम बच्चों से खूब करे,पर अनुशासन में रखने को मजबूर॥
मात-पिता की जो भूले,वो राक्षस के समान।
बिना उनके आशीष के,जग में मिले न मान-सम्मान॥
माँ घर की धुरी,पिता है आकाश।
उनके चरणों में रहता है,सदा ईश का वास॥
#सपना परिहार
परिचय : सपना परिहार की जन्मतिथि-२७ सितम्बर १९७४ और जन्म स्थान-ग्वालियर(मध्यप्रदेश) हैl आपका निवास शहर नागदा हैl एम.ए.(हिन्दी,इतिहास) तथा बी.एड. शिक्षित सपना परिहार का कार्यक्षेत्र अध्यापन(शिक्षिका) का हैl आपको सामाजिक क्षेत्र में कई संस्थाओं से जुड़ने का मौका मिला है l लेखन में आपकी विधा छंदमुक्त है,जबकि कई पत्र-पत्रिकाओं में गीत,ग़ज़ल,कहानी एवं लेख भी प्रकाशित हो चुके हैंl लेखन के लिए आप कई संस्थाओं तथा श्रेष्ठ कवियित्रि के सम्मान से सम्मानित हो चुकी हैं l अन्य उपलब्धि देखें तो आकाशवाणी (इंदौर) से रचनाओं का प्रसारण हुआ हैl आपके लेखन का उद्देश्य-मन के उदगारों को लोगों तक लेखनी से अभिव्यक्त करके पहुंचाना है।
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Fri Dec 1 , 2017
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