नई सुबह आ रही विश्वास दीप जलेंगें।
नव उमंग जाग रही,नए गीत रचेंगे॥
खेत की माटी बोल रही,
ओ कर्मवीर उठ जाओ।
प्राणों में हुंकार भरो,
श्रम की फसल उगाओ।
समुद्र में लहरें उठ रहीं कर्म दीप जलेंगे।
नव उमंग जाग रही,नए गीत रचेंगे॥
जीत उसे हासिल होती,
जो आशा-बल पे जीते।
बाधाओं को दूर हटा के
आसमान छू लेते॥
कर्म की आँधियाँ चल रहीं श्रम-फूल खिलेंगे।
नव उमंग जाग रही,नए गीत रचेंगे॥
सारे बन्धन तोड़कर,
नई ऊर्जा से भर दें।
खौफ का साया जहाँ,
हौंसलों के पंख दे दें॥
नई लहर आ रही,आत्मविश्वास जगेंगे।
नव उमंग जाग रही,नए गीत रचेंगे॥
चुनौतियों का सामना करो,
भाग्य भरोसे बैठो नहीं।
पुरुष हो,पुरुषार्थ करो,
बाधाओं से डरो नहीं॥
कर्म भूमि सज रही,ज्ञान दीप जलेंगे।
नव उमंग जाग रही,नए गीत रचेंगे॥
#आशा जाकड़
परिचय: लेखिका आशा जाकड़ शिकोहाबाद से ताल्लुक रखती हैं और कार्यक्षेत्र इन्दौर(म.प्र.)है। बतौर लेखिका आपको प्रादेशिक सरल अलंकरण,माहेश्वरी सम्मान रंजन कलश सहित साहित्य मणि श्री(बालाघाट),कृति कुसुम सम्मान इन्दौर,शब्द प्रवाह साहित्य सम्मान(उज्जैन),श्री महाराज कृष्ण जैन स्मृति सम्मान(शिलांग) और साहित्य रत्न सम्मान(जबलपुर)आदि मिले हैं। जन्म१९५१ में शिकोहाबाद (यू.पी.)में हुआ और एमए (समाजशास्त्र,हिन्दी)सहित बीएड भी किया है। 28 वर्ष तक इन्दौर में आपने अध्यापन कराया है। सेवानिवृत्ति के बाद काव्य संग्रह ‘राष्ट्र को नमन’, कहानी संग्रह ‘अनुत्तरित प्रश्न’ और ‘नए पंखों की उड़ान’ आपके नाम है।
बचपन से ही गीत,कविता,नाटक, कहानियां,गजल आदि के लेखन में आप सक्रिय हैं तो,काव्य गोष्ठियों और आकाशवाणी से भी पाठ करती हैं। कई साहित्यिक संस्थाओं से जुड़ी हैं।