बहुत थका हूँ…

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उनके कृपावन्त चरनों पर अपना सिर रखकर रोऊँगा।
बहुत थका हूँ अब सोऊंगा॥
चलता रहा शुरू से,अब तक तन मन चकनाचूर हो गया।
जाना था जिस प्रियतम के घर,वही दूर से दूर हो गया॥
अब तो नस-नस का वश टूटा,मरी आस विश्वास तज रही,
और हौंसला आगे बढ़ पाने का भी काफूर हो गया॥
तन पर दाग लगे कपड़े हैं,मल-मल कर इनको धोऊँगा।
बहुत थक गया अब सोऊंगा॥
जिसको ताक़त समझा था मैं,वह निकली मेरी कमजोरी।
सच कहना तो दूर,सिर्फ मैं बोला झूठ बात ही कोरी॥
इधर-उधर से कर जुगाड़ ही,खींचे रहा कुटुम्ब की गाड़ी।
नातों की पगही थामे,औरों की भरता रहा तिजोरी॥
मन का खेत जोतकर इसमें सदगुण के मोती बोऊँगा।
बहुत थका हूँ अब सोऊंगा॥
तीरथ-तीरथ गया मगर,जब खोजा तब श्रीराम यहीं थे।
सब का भला अगर कर पाता,तो सारे आराम यहीं थे॥
दुनियादारी के चक्कर में फंसकर,यूँ ही रहा भटकता।
उजला कोठा हो जाता तो सचमुच चारों धाम यहीं थे॥
अब जितने दिन शेष रह गए,उनको व्यर्थ नहीं खोऊंगा।
बहुत थक गया,अब सोऊंगा॥
                              #राम अवतार शर्मा’इन्दु’
परिचय :राम अवतार शर्मा का साहित्यिक उपनाम-‘इन्दु’ है। उत्तर प्रदेश राज्य से नाता रखने वाले श्री शर्मा की जन्म तिथि २७ जुलाई १९५३ और जन्म स्थान बजरिया निहालचंद (फर्रुखाबाद) है। वर्तमान में भी आप शहर फर्रुखाबाद में ही निवासरत हैं।आपकी शिक्षा परास्नातक और अध्यापक प्रशिक्षण प्राप्त किया है। कार्य क्षेत्र सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश है। आप प्रधानाचार्य पद से सेवानिवृत्त होकर सामाजिक क्षेत्र में सक्रिय हैं। लेखन विधा-कविता,समीक्षा,गद्य तथा निबंध है। प्रकाशन में आपके खाते में पांडवेश्वर शतक, त्यागमूर्ति मंथरा एवं दशरथ आदि है, तो १२ अप्रकाशित पुस्तकें हैं। विविध संस्थाओं द्वारा अनेक सम्मान दिए गए हैं,जिसमें छंद सम्राट की उपाधि बड़ी उपलब्धि है। आपके लेखन का उद्देश्य जनजागरण ही है। 

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।