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हिफाजत की नजर में नजरों को गुलाम कर बैठी,
बिखर कर जुल्फ चेहरे पर कत्लेआम कर बैठी।
वाकिफ हो भला कैसे हकीकत से नुमाइश की,
अपनी पहंचान को जब गैर के वो नाम कर बैठी।
बगावत हम भी करते थे पर तूफान को कम कर,
मेरे अल्फाज को वो मेरा ही गुलाम कर बैठी।
चुनरी मखमली ऐसी मेरे चेहरे पर अटकी,
दिन को यामिनी और सुबहो को शाम कर बैठी।
शराफत आपके शहरों की वो सुर्खियां देती,
रूबरू जब से हुए हम बेगाना तमाम कर बैठी।
मेरी छत पे आ उसने पतंगें सारी काट डाली,
हवाओं की तरह मुझे वो गुमनाम कर बैठी।
इनायत हम पे कर दी उसने इर्शाद फरमाकर,
एक ही लफ्ज़ में महफ़िल मुझे सलाम कर बैठी।
जान देकर अमर अब नाम क्या हम करें ‘रानू’,
ये मोहब्बत भी तो कितनों को बदनाम कर बैठी॥
#रानू धनौरिया
परिचय : रानू धनौरिया की पहचान युवा कवियित्री की बन रही है। १९९७ में जन्मीं रानू का जन्मस्थान-नरसिंहपुर (राज्य-मध्यप्रदेश)है। इसी शहर-नरसिंहपुर में रहने वाली रानू ने जी.एन.एम. और बी.ए. की शिक्षा प्राप्त की है। आपका कार्यक्षेत्र-नरसिंहपुर है तो सामाजिक क्षेत्र में राष्ट्रीय सेवा योजना से जुड़ी हुई है। आपका लेखन वीर और ओज रस में हिन्दी में ही जारी है। आपकॊ नवोदित कवियित्री का सम्मान मिला है। लेखन का उद्देश्य- साहित्य में रुचि है।
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good very good
नरसिंह भूमि की रचनाओं व रचनाकरों का सम्बल मिले बधाई,,,