पुनर्नवा

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amitabh priydarshi
वह रोज जी उठता है,पुनर्नवा की तरह।
जी उठना उसकी विवशता है,
क्योंकि सहज मिल जाती है,
हवा,बारिश,धूप और पानी भी कभी-कभी।
फिर वह पनपता,फुनगता और बढ़ता ही चला जाता है।
पर इतना भी सहज नहीं है बढ़ना!
इस बीच कई बार पददलित होता,
रौंदा जाता हजारों बार,पांवों तले,
फिर भी वह स्वयं को जीवित रखता है।
क्योंकि,
वह जानता है,कई उम्मीदें जुड़ीं हैं उससे।
किसी को उसकी पत्तियों की जरूरत,
तो किसी को तने की ख्वाहिश।
कई तो जड़ें तक उखाड़ ले जाते हैं।
फिर भी बच गई जड़ के एक रेशे से वह,
वह खुद को पुन: जीवित कर लेता है।
क्योंकि वह जानता है,अपनी जिम्मेदारियों को…
कई आशाओं को,
जो उससे जुड़ीं हैं…
चाहकर भी मर नहीं सकता वह।
भले लाख झंझावतों को पड़े झेलना।
लुटना पड़े,नुचना पड़े,या उखड़ना ही क्यों ना पडे़ ?
जब तक उसका एक-एक टुकड़ा उपभुक्त न हो जाए,
मर-मरकर जीना उसकी विवशता है।
इसीलिए वह उपेक्षित होकर भी,
कोई शिकायत नहीं करता।
भले उसे कोई नहीं सींचता,
न खाद,न पानी।
जो सहज मिल गया,
बस उसी पर जी लिया।
एक पिता की तरह,
क्योंकि,पुनर्नवा है वह॥

#अमिताभ प्रियदर्शी 

परिचय:अमिताभ प्रियदर्शी की जन्मतिथि-५ दिसम्बर १९६९ तथा जन्म स्थान-खलारी(रांची) है। वर्तमान में आपका निवास रांची (झारखंड) में कांके रोड पर है। शिक्षा-एमए (भूगोल) और पत्रकारिता में स्नातक है, जबकि कार्यक्षेत्र-पत्रकारिता है। आपने कई राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक अखबारों में कार्य किया है। दो अखबार में सम्पादक भी रहे हैं। एक मासिक पत्रिका के प्रकाशन से जुड़े हुए हैं,तो
आकाशवाणी रांची से समाचार वाचन एवं उद्घोषक के रुप में भी जुड़ाव है। लेखन में आपकी विधा कविता ही है।
सम्मान के रुप में गंगाप्रसाद कौशल पुरस्कार और कादमबिनी क्लब से पुरस्कृत हैं। ब्लाॅग पर लिखते हैं तो,विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं तथा रेडियो से भी रचनाएं प्रकाशित हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य-समाज को कुछ देना है

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।