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कब से हूँ सोच रहा,उसको मनाने के लिए,
कुछ नया और बता,उसको बुलाने के लिए।
यूँ बेसबब सोने लगी,साहिब ये किस्मत मेरी,
मैं दर-बदर फिरता रहा,उसको जगाने के लिए।
बोझ-सी लगने लगी,ज़िन्दगी मेरी मुझको,
सबमें एक मैं ही दिखा,उसको सताने के लिए।
उससे शर्त ये थी लगी,कौन पहले भूलेगा,
खुद ही मैं हार गया,उसको जिताने के लिए॥
#आनंद कुमार पाठक
परिचय: आनंद कुमार पाठक का निवास शहर बरेली के शास्त्री नगर(इज़्ज़त नगर) में है। आपकी जन्मतिथि-४ फरवरी १९८८ तथा जन्म स्थान-बरेली(उत्तर प्रदेश)है। एम.बी.ए. सहित एम.ए.(अर्थशास्त्र) की शिक्षा ली है। नौकरी आपका कार्यक्षेत्र है। आपकॊ पढ़ाई में उत्कृष्टता के लिए स्वर्ण पदक मिलना बड़ी उपलब्धि है। लेखन का उद्देश्य-साहित्य में विशेष रुचि होना है।
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