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समझने लगी हो बातों को,
जानने लगी हो अहसासों को
कर चुकी हो बचपन को पार,
उम्र हो चुकी तुम्हारी सत्रह के पार।
छेड़ने लगी हो अरमानों को ,
जानने लगी हो अहसासों को
कर चुकी हो बचपन को पार,
उम्र हो चुकी अब तुम्हारी सत्रह के पार।
कभी बैठी-बैठी गुनगुनाती हो,
कभी खुद से बात करती हो
सवालों का तुम्हारे चलता भण्डार,
उम्र हो चुकी अब तुम्हारी सत्रह के पार।
हर कदम फूंक-फूंककर रखना,
हर प्यार और धोखे को समझना
चूक से बचना,हर समय रखना खुद को तैयार ,
उम्र हो चुकी तुम्हारी अब सत्रह के पार।
लक्ष्य को साधे आगे बढ़ती रहना,
दुनिया की चकाचौंध में न खोना
विश्वास है तुम कर लोगी नैया पार,
उम्र हो चुकी तुम्हारी अब सत्रह के पार।
हर पल,हर कदम मैं साथ रहूंगी,
कभी दुःख न मिले,यही कोशिश करुँगी
परिवार की दुआ तुम्हें मिलेगी अपार,
उम्र हो चुकी तुम्हारी अब सत्रह के पार॥
#प्रेरणा सेंद्रे
परिचय: प्रेरणा सेंद्रे इन्दौर में रहती हैं। आपकी शिक्षा एमएससी और बीएड(उ.प्र.) है। साथ ही योग का कोर्स(म.प्र.) भी किया है। आप शौकियाना लेखन करती हैं। लेखन के लिए भोपाल में सम्मानित हो चुकी हैं। वर्तमान में योग शिक्षिका के पद पर कार्यरत हैं।
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