अस्थियां प्रवाहित होती थी मुझमें,
अब लाशे निरंतर बहती है मुझमें।
और अब कितने पाप धोऊ सबके,
ये गंगा मैया कह रही है हम सबको।
जिस देश में पवित्र गंगा बहती है,
अब पवित्र गंगा में लाशे बहती है।
कैसा बुरा समय अब आ गया है,
जब मुर्दों की बुरी गति होती है।।
थक गई हूं मै पापियों के पाप धोते धोते,
बचा लो तुम मुझको कह रही रोते रोते।
करा अपवित्र जल शवों को तुमने बहाकर,
क्या करोगे मेरे,अपवित्र जल में नहाकर।।
आई थी मै शिव की जटाओं से निकलकर,
कर दिया भागीरथ के प्रयासों को निष्फल।
होगा नहीं भला भी तुम्हारा ऐसे कुकर्म करके
बन्द करो डालना शवो को मेरे जल में डालके।।
कर रहे है मैली मुझको,गंदे नाले मुझमें डालकर,
और क्यों मैली कर रहे हो मुझमें शव बहाकर।
ले लूंगी मै भी बदला जब मुझमें बाढ़ आएगी,
बह जाओगे जब तुम तब तुमको अक्ल आएगी।।
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम