‘यार मैं कोमल के बिना ज़िंदा नहीं रह सकता।’ रमण ने बड़ी ही मासूमियत के साथ कहा।
‘क्यूँ?’ मैंने अनायास ही पूछ लिया।
‘तुम नहीं जानते मैं कोमल से कितना प्यार करता हूँ। सच्चा प्यार। बहुत ज़्यादा चाहता हूँ मैं उसे। अपनी जान से भी ज़्यादा।’
‘अच्छा।’
‘हाँ यार ! आज वह नाराज है मुझसे, तो मुझे चैन नहीं आ रहा।’
‘क्यों क्या बात हो गई ऐसी।’
‘यार,कल उसने मुझे अंजना के साथ काफ़ी हाउस में देख लिया था।’
‘यार मुझे एक बात समझ नहीं आती,जब तुम्हारा मामला कोमल के साथ ठीक-ठाक चल रहा है,तो फिर तुम्हें इधर-उधर मुँह मारने की क्या आवश्यकता है?’
‘क्योंकि,अगर ईश्वर न करे,कल को कोमल से मनमुटाव हो जाता है तो कोई न कोई तो चाहिए समय बिताने के लिए।’ रमण ने तपाक से कहा। मैं अवाक-सा उसका चेहरा ताकता रह गया।
#यशपाल निर्मल
परिचय:श्री यशपाल का साहित्यिक उपनाम- यशपाल निर्मल है। आपकी जन्मतिथि-१५ अप्रैल १९७७ और जन्म स्थान-ज्यौड़ियां (जम्मू) है। वर्तमान में ज्यौड़ियां के गढ़ी बिशना(अखनूर,जम्मू) में बसे हुए हैं। जम्मू कश्मीर राज्य से रिश्ता रखने वाले यशपाल निर्मल की शिक्षा-एम.ए. तथा एम.फिल. है। इनका कार्यक्षेत्र-सहायक सम्पादक (जम्मू कश्मीर एकेडमी आफ आर्ट,कल्चरल एंड लैंग्वेजिज, जम्मू)का है। सामाजिक क्षेत्र में आप कई साहित्यक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्थाओं में सक्रिय रुप से भागीदार हैं। लेखन में विधा- लेख,कविता,कहानी एवं अनुवाद है। आपकी रचनाओं का प्रकाशन विविध माध्यमों में हुआ है। सम्मान की बात करें तो साहित्य अकादमी का वर्ष २०१५ का अनुवाद पुरस्कार आपको मिला है। ब्लॉग पर भी सक्रिय यशपाल निर्मल को
कई अन्य संस्थाओं द्वारा भी सम्मानित किया गया है। आपके लेखन का उद्देश्य- समाज में मानवता का संचार करना है।
सुंदर रचना आधुनिक युवाओ के मन की पड़ताल करती कथा।