आँगन में दीवार न करना

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ragini sharma
आँगन में दीवार न करना
रिश्तों को अखबार न करना
वाणी  मधुर तरल रहने दो
शब्दों को तलवार न करना
मन मरुथल जैसे हो जिनके
उनसे तुम मनुहार न करना
अभी अभी मन को समझाया
फिर पायल झंकार न करना
दिल के मीठे लब्ज पढ़ें थे
कटुता का व्यवहार न करना
प्राण जाए पर वचन न जाये
मन को तुम गद्दार न करना
यार प्यार से  ही दिल जीतो
नफरत के व्यापार न करना
मुँह में राम बगल में छुरी
ज़मीर सस्ता यार न करना
धड़कनों से जुड़े हो दिल की
यार दग़ा दिलदार न करना✍
#रागिनी शर्मा (स्वर्णकार)
 परिचय : रागिनी शर्मा (स्वर्णकार) की जन्मतिथि-१ मई १९७२ तथा जन्म स्थान-बेगमगंज (रायसेन)है। बी.एस-सी.,एम.ए.(हिंदी-अँग्रेजी साहित्य) शिक्षित होकर आपका कार्यक्षेत्र-व्याख्याता का है। वर्तमान में मध्यप्रदेश के इंदौर में सिलिकॉन सिटी में आपका निवास है। सामाजिक क्षेत्र-गतिविधि में  अध्यापन, सामाजिक-साहित्यिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों में आपकी सक्रिय सहभागिता है। विधा-हिंदी गीत,मुक्तक, अतुकांत और ग़ज़ल है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-सकारात्मक विचारों का विस्तार करना है। 

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

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