साक्षात्कार गरीबी का…

0 0
Read Time2 Minute, 4 Second
anupam
भुखमरी के मेले में एक बार,
श्रीमती गरीबी से हुआ साक्षात्कार।
मंहगाई के बोझ से झुकी कमर,
आँसूओं के पैबंद साड़ी पर।
कानों में मजबूरी की बाली,
गालों पर विडंबनाओं की लाली।
माँथे पर भूख की बिन्दी,
लग रही थी जैसे हिन्दी।
पीठ से पेट मिला हुआ,
दहशत का कँवल खिला हुआ।
जवानी में ही दायित्व की झुर्रियां,
दमक रहीं थी नसों की मुर्रियां।
मैंने कहा-गरीबी जी नमस्कार,
अचंभित हो उसने किया प्रतिकार।
कौन हो भाई…..?
मैं बोला-कवि हूँ माई।
गरीबी खिलखिलाई..
अच्छा…बिरादरी के हो भाई।
मैं समझी….नेता हो
और..चुनाव आ गया।
मैं बोला…कैसा चुनाव!
गरीबी बोली वही चुनाव,
जो कुर्सी के लिए आता है
जिससें हमें ठगा जाता है।
आपको शायद नहीं मालूम,
चुनाव मेरा भाई है
नेता मेरा जमाई है।
बड़े अरमानों के साथ,
पीले किए थे हाथ
सौंप दी थी नेता को आजादी,
वहीं से शुरु हुई मेरी बरबादी।
पहले मेरा चुनाव हुआ बंधक,
आजादी लाचार हो चुकी थी तब तक।
तब से मेरे चुनाव को..
आगे कर नेता आता है,
और बेटी के सुखों का वादा कर
मेरे अधिकारों की पूंजी,
ठग ले जाता है ॥

                                                    #अनुपम कुमार सिंह ‘अनुपम आलोक’

परिचय : साहित्य सृजन व पत्रकारिता में बेहद रुचि रखने वाले अनुपम कुमार सिंह यानि ‘अनुपम आलोक’ इस धरती पर १९६१ में आए हैं। जनपद उन्नाव (उ.प्र.)के मो0 चौधराना निवासी श्री सिंह ने रेफ्रीजेशन टेक्नालाजी में डिप्लोमा की शिक्षा ली है।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

बात करेंगे

Fri Oct 13 , 2017
दिल से दिल की बात करेंगे। बातें   सारी  रात  करेंगे॥ शतरंजी ये  चाल  तुम्हारी, चुटकी भर औकात करेंगे। बतलाओ मत जात तुम्हारी, सुन लो फिर आघात करेंगे। नज़रों में तुम खटक गए तो, समझो तुम वो घात करेंगे। आँसू  छलके  राज  खुलेंगे, सावन-सी  बरसात   करेंगे। नेता  उनको  चुनवा  दें  तो, […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।