साथ तुम्हारा

0 0
Read Time3 Minute, 3 Second
sunil choure
साथ तुम्हारा पाकर
जीवन की सैर करने चला था,
थी साथ तुम तो ,
तूफाँ भी मुझसे डरा था।
चपल चतुर खिव्वैया बन
जीवन की नैय्या को,
संचालित करती रही
चप्पू उनके उनके हाथ देख
था बेखबर मैं,
नैय्या तूफानों से लड़ती रही,
देख सेवा,कर्मठता,जीवटता
इनकी,
तूफाँ भी शांत हो रास्ता
दे देता।
पाकर रास्ता जीवन की
नैय्या आगे बढ़ती रही,
था आभास जैसे उन्हें
ज्यादा दिन नहीं हाथ-
काँधे चप्पू थामे रहेंगे,
जिद की थामे रहने की
चप्पू को तो,
सब दिशाविहीन बहेंगे,
बिना थके-बिना हारे
कम समय में सुरक्षित
पार लगा दिया,
पंहुचाकर ऊंचाई पर
अच्छा स्थान दिला दिया।
ये हमारी किस्मत ,
नाकाबिल को काबिल
बना दिया,
आभास ही न होने दिया
और वे चली गईं,
नैय्या के संचालन हेतु,
चप्पू मेरे हाथ दे गई।
गर्व से कह सकता हूँ
वे थी तो हर संकट हमसे
टला था,
साथ तुम्हारा पाकर
जीवन की सैर करने चला था॥
                                                              #सुनील चौरे ‘उपमन्यु’
परिचय : कक्षा 8 वीं से ही लेखन कर रहे सुनील चौरे साहित्यिक जगत में ‘उपमन्यु’ नाम से पहचान रखते हैं। इस अनवरत यात्रा में ‘मेरी परछाईयां सच की’ काव्य संग्रह हिन्दी में अलीगढ़ से और व्यंग्य संग्रह ‘गधा जब बोल उठा’ जयपुर से,बाल कहानी संग्रह ‘राख का दारोगा’ जयपुर से तथा 
बाल कविता संग्रह भी जयपुर से ही प्रकाशित हुआ है। एक कविता संग्रह हिन्दी में ही प्रकाशन की तैयारी में है।
लोकभाषा निमाड़ी में  ‘बेताल का प्रश्न’ व्यंग्य संग्रह आ चुका है तो,निमाड़ी काव्य काव्य संग्रह स्थानीय स्तर पर प्रकाशित है। आप खंडवा में रहते हैं। आडियो कैसेट,विभिन्न टी.वी. चैनल पर आपके कार्यक्रम प्रसारित होते रहते हैं। साथ ही अखिल भारतीय मंचों पर भी काव्य पाठ के अनुभवी हैं। परिचर्चा भी आयोजित कराते रहे हैं तो अभिनय में नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से साक्षरता अभियान हेतु कार्य किया है। आप वैवाहिक जीवन के बाद अपने लेखन के मुकाम की वजह अपनी पत्नी को ही मानते हैं। जीवन संगिनी को ब्रेस्ट केन्सर से खो चुके श्री चौरे को साहित्य-सांस्कृतिक कार्यक्रमों में वे ही अग्रणी करती थी।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

सच्चा श्राद्ध

Mon Sep 18 , 2017
जीते जी माँ-बाप को,माँ-बाप मानो, उनका सच्चा श्राद्ध हो जाएगा। जीते जी उनकी,तकलीफों को पहचानो, उनका सच्चा श्राद्ध हो जाएगा। जीते जी उनकी,भावनाओं की कद्र करो, उनका सच्चा श्राद्ध हो जाएगा। जीते जी उनका,कभी अपमान न करो, उनका सच्चा श्राद्ध हो जाएगा। जीते जी उनका,शुभाशीर्वाद  ले लो, उनका सच्चा श्राद्ध […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।