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साथ तुम्हारा पाकर
जीवन की सैर करने चला था,
थी साथ तुम तो ,
तूफाँ भी मुझसे डरा था।
चपल चतुर खिव्वैया बन
जीवन की नैय्या को,
संचालित करती रही
चप्पू उनके उनके हाथ देख
था बेखबर मैं,
नैय्या तूफानों से लड़ती रही,
देख सेवा,कर्मठता,जीवटता
इनकी,
तूफाँ भी शांत हो रास्ता
दे देता।
पाकर रास्ता जीवन की
नैय्या आगे बढ़ती रही,
था आभास जैसे उन्हें
ज्यादा दिन नहीं हाथ-
काँधे चप्पू थामे रहेंगे,
जिद की थामे रहने की
चप्पू को तो,
सब दिशाविहीन बहेंगे,
बिना थके-बिना हारे
कम समय में सुरक्षित
पार लगा दिया,
पंहुचाकर ऊंचाई पर
अच्छा स्थान दिला दिया।
ये हमारी किस्मत ,
नाकाबिल को काबिल
बना दिया,
आभास ही न होने दिया
और वे चली गईं,
नैय्या के संचालन हेतु,
चप्पू मेरे हाथ दे गई।
गर्व से कह सकता हूँ
वे थी तो हर संकट हमसे
टला था,
साथ तुम्हारा पाकर
जीवन की सैर करने चला था॥
#सुनील चौरे ‘उपमन्यु’
परिचय : कक्षा 8 वीं से ही लेखन कर रहे सुनील चौरे साहित्यिक जगत में ‘उपमन्यु’ नाम से पहचान रखते हैं। इस अनवरत यात्रा में ‘मेरी परछाईयां सच की’ काव्य संग्रह हिन्दी में अलीगढ़ से और व्यंग्य संग्रह ‘गधा जब बोल उठा’ जयपुर से,बाल कहानी संग्रह ‘राख का दारोगा’ जयपुर से तथा
बाल कविता संग्रह भी जयपुर से ही प्रकाशित हुआ है। एक कविता संग्रह हिन्दी में ही प्रकाशन की तैयारी में है।
लोकभाषा निमाड़ी में ‘बेताल का प्रश्न’ व्यंग्य संग्रह आ चुका है तो,निमाड़ी काव्य काव्य संग्रह स्थानीय स्तर पर प्रकाशित है। आप खंडवा में रहते हैं। आडियो कैसेट,विभिन्न टी.वी. चैनल पर आपके कार्यक्रम प्रसारित होते रहते हैं। साथ ही अखिल भारतीय मंचों पर भी काव्य पाठ के अनुभवी हैं। परिचर्चा भी आयोजित कराते रहे हैं तो अभिनय में नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से साक्षरता अभियान हेतु कार्य किया है। आप वैवाहिक जीवन के बाद अपने लेखन के मुकाम की वजह अपनी पत्नी को ही मानते हैं। जीवन संगिनी को ब्रेस्ट केन्सर से खो चुके श्री चौरे को साहित्य-सांस्कृतिक कार्यक्रमों में वे ही अग्रणी करती थी।
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Mon Sep 18 , 2017
जीते जी माँ-बाप को,माँ-बाप मानो, उनका सच्चा श्राद्ध हो जाएगा। जीते जी उनकी,तकलीफों को पहचानो, उनका सच्चा श्राद्ध हो जाएगा। जीते जी उनकी,भावनाओं की कद्र करो, उनका सच्चा श्राद्ध हो जाएगा। जीते जी उनका,कभी अपमान न करो, उनका सच्चा श्राद्ध हो जाएगा। जीते जी उनका,शुभाशीर्वाद ले लो, उनका सच्चा श्राद्ध […]