बेवजह गुस्सा,चिड़चिड़ापन, अच्छी बात नहीं।
बेमौत न कर मेरे नाम कफ़न अच्छी बात नहीं॥
————————————-
यहाँ-वहाँ,इधर-उधर मत दिखा अपनी अदा।
मेरे दिल को न कर परेशान अच्छी बात नहीं॥
————————————-
बारिश भी वहीं है,जहाँ तुमने साथ छोड़ा था।
बिन मौसम के बरसे सावन अच्छी बात नहीं॥
————————————-
तू मुस्कुराए तो मैं भी मुस्कुराऊँ इस मौसम में।
तेरे लिए उदास रहे ये चमन, अच्छी बात नहीं॥
————————————-
मेरी जिंदगी भी अब इस तरह से इतराती है।
दुश्मनों को होती है जलन अच्छी बात नहीं॥
————————————-
मैं मोती बन के रहूं सदा ही तेरी माला में।
घर में टूटा रहे आँगन,अच्छी बात नहीं॥
————————————-
अपने परिवार की उम्मीदों का सागर हूं मैं।
बर्बाद करुं अपना ही जीवन, अच्छी बात नहीं॥
————————————-
नदी पार करने में लेता है दुश्मनों का सहारा।
इस गाँव में वो इतना नादान, अच्छी बात नहीं॥
————————————-
तन हो तन में,प्राण हो जीवन में ऐ कृष्ण।
तेरे बिना सूना रहे मेरा मकान, अच्छी बात नहीं॥
————————————-
कैसे मिलेगी मोहब्बत में मंज़िल तुझे ‘अरमान’।
खवाब की मार से टूटे जो बदन अच्छी बात नहीं॥
#प्रवीण गहलोत
परिचय : प्रवीण गहलोत,राजस्थान के जोधपुर से हैं। आपको शायरी की दुनिया में अरमान बाबू के नाम से जाना जाता है। आपकी जन्मतिथि ११ अगस्त १९९४ और जन्मस्थली जोधपुर के पास छोटा सा गाँव है। आप अपने देश-परिवार से बहुत प्यार करते हैं। सिविल इंजीनियर की पढ़ाई की हुई है। इंजीनियरिंग महाविद्यालय में प्राध्यापक भी रह चुके हैं। कार्य के प्रति विशेष रुचि रखते हैं,इसलिए दुबई से प्रस्ताव आने पर अब वहां यही कार्य क्षेत्र अपनाने की तैयारी है। रुचि संगीत,समाजसेवा,नए पर्यटन स्थान पर घूमना है। आप हिंदी के साथ उर्दू में भी रचनाएं लिखते-कहते हैं। उर्दू में रचनाएँ प्रकाशित हुई है। इनकी लेखनी का उद्देश्य भारत के युवाओं को हिंदी के प्रति अपनी कलम से जागरुक करना है।