आयो सावन को तेवार,मन में हरस अपार
आँगन झूला पड़ी गया,बेटी बेगी आवजे l
माता करे मनवार,पिता देखे डेली द्वार,
भाई करे इंतजार,बेटी बेगी आवजे l
बेन्या हंसी खुसी नाचे,भावज लाई पेरवास,
सखिया आई दिन चार,बेटी जल्दी बेगी आवजे l
तू तो आँगन को सिणगार,माँ की गोदी को दुलार,
थारा से खुले अंगनो,बेटी बेगी आवजे l
बेटी बेगी आवजे, साते भाणेज लावजे,
माँ की हरस नी मावे,बेटी बेगी आवजे l
थारी महल अटारी, हमारी छोटी-सी क्यारी,
थारे कमी कदी लगे,फिर भी मन मारजे l
तू तो काकाजी की प्यारी,सारा गांव की फुलवारी,
थारा से खुले है संसार,बेटी बेगी आवजे l
राखी बंधन को तेवार,पियर को है डेली द्वार,
म्हारा जीवन को आधार,माता बेगी आऊंगा l
जो लूँ पियर को हूँ नाम आवे ठंडी फुहार,
माता तू तो है म्हारी जान,हूँ तो बेगी आऊंगा l
आयो सावन को तेवार,मन में हरस अपार,
आँगन झूला पड़ी गया,बेटी बेगी आवजे l
(बेगी=जल्दी)
#सुषमा दुबे
परिचय : साहित्यकार ,संपादक और समाजसेवी के तौर पर सुषमा दुबे नाम अपरिचित नहीं है। 1970 में जन्म के बाद आपने बैचलर ऑफ साइंस,बैचलर ऑफ जर्नलिज्म और डिप्लोमा इन एक्यूप्रेशर किया है। आपकी संप्रति आल इण्डिया रेडियो, इंदौर में आकस्मिक उद्घोषक,कई मासिक और त्रैमासिक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन रही है। यदि उपलब्धियां देखें तो,राष्ट्रीय समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में 600 से अधिक आलेखों, कहानियों,लघुकथाओं,कविताओं, व्यंग्य रचनाओं एवं सम-सामयिक विषयों पर रचनाओं का प्रकाशन है। राज्य संसाधन केन्द्र(इंदौर) से नवसाक्षरों के लिए बतौर लेखक 15 से ज्यादा पुस्तकों का प्रकाशन, राज्य संसाधन केन्द्र में बतौर संपादक/ सह-संपादक 35 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है। पुनर्लेखन एवं सम्पादन में आपको काफी अनुभव है। इंदौर में बतौर फीचर एडिटर महिला,स्वास्थ्य,सामाजिक विषयों, बाल पत्रिकाओं,सम-सामयिक विषयों,फिल्म साहित्य पर लेखन एवं सम्पादन से जुड़ी हैं। कई लेखन कार्यशालाओं में शिरकत और माध्यमिक विद्यालय में बतौर प्राचार्य 12 वर्षों का अनुभव है। आपको गहमर वेलफेयर सोसायटी (गाजीपुर) द्वारा वूमन ऑफ द इयर सम्मान एवं सोना देवी गौरव सम्मान आदि भी मिला है।