आओ हम मिलकर,देश में नई अलख जगाते हैं, हिन्दी को उसका खोया सम्मान,फिर से दिलाते हैं।
हिन्दी भाषा है,ज्ञान-विज्ञान की,
हिन्दी भाषा है,भारत के स्वाभिमान की
हिन्दी में आजादी के नारे गूंजा करते थे,
जिन्हें सुनकर,अंग्रेज़ भी भागा करते थे।
आओ हम मिलकर देश में, नई अलख जगाते हैं,
हिन्दी को उसका खोया सम्मान,फिर से दिलाते हैं।
हिन्दी जिसमें जन्मी,आजादी की चिंगारी थी,
हिन्दी जिसने दिखाई,अंग्रेजों की लाचारी थी
हिन्दी संवादों को सुन,जाग उठे थे,बूढ़े,बच्चे और जवान,
इंकलाब-जिंदाबाद बोल भगतसिंह,वीर अनेक हो गए कुर्बान।
आओ हम मिलकर देश में, नई अलख जगाते हैं,
हिन्दी को उसका खोया सम्मान,फिर से दिलाते हैं॥
#देवराज एसएल दाँगी
परिचय : देवराज एसएल दाँगी पत्रकारिता से जुड़े होकर एक पत्रिका के सम्पादक हैंl आप सोनकच्छ(तहसील नरसिंहगढ़,जिला राजगढ़) के मूल निवासी हैं और अभी इंदौर(मप्र) में रहते हैंl बी.काॅम. की पढ़ाई देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से करते हुए समाजसेवा में भीम लगे हैंl वीर रस में रचना लेखन आपकी पसंद हैl
Bahut sundar