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अगर मैं पेड़ बन जाता तो,
कितना अच्छा होता।
खड़ा-खड़ा लहराता,
और सबको हवा देता।
मेरे फूल महकते,
स्वादिष्ट फल तुम खाते।
मैं लोगों को छाया देता,
राहगीर राहत पाते।
मेरे कारण बारिश होती,
फसलें खेतों में लहराती।
मैं तुमको जीवन देता हूं,
और तुम मुझे ही काट डालते॥
#वेदिका सक्सेना ‘अर्शी’
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