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झरनें झरते झर-झर-झर ,
नदियाँ बहती खल-खल-खल ।
सैर – सपाटे को झट निकलें ,
राजा भैया जल्दी चल ।।
बुलबुल,मैना,सुआ ,चकोर
चूं-चूं चीं-चीं करते शोर ।
धमा – चौंकड़ी हिरणों की ,
कैसे छम-छम नाचे मोर ।।
दृश्य मनोरम देखें जाकर ।
प्यारे भैया चल-चल-चल ।।
राजा भैया जल्दी चल।।1।।
भांति-भांति के फूल वहाँ ,
हंसते खिलते मुस्काते ।
मस्त पवन में सर-सर-सर
डाल-डाल सरगम गाते ।।
ऐसा सुन्दर ठाँव देखनें ।
अच्छे भैया अब तो चल ।।
राजा भैया जल्दी चल ।।2।।
# डॉ. प्रमोद सोनवानी “पुष्प”
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