आम लोगों के सपनों की उड़ान है निशा का “परवाज़”

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वाराणसी। शहर बनारस से गंगजमुनवी तहज़ीब व इंसानी मोहब्बत की वरिष्ठ गज़लकार डॉ. नसीमा निशा की ग़ज़ल संग्रह परवाज़ का भव्य लोकार्पण गोलघर स्थित पराड़कर स्मृति भवन में काशी के विद्वत साहित्यिक परिवार के बीच संपन्न हुआ। समारोह का प्रारम्भ मुख्य अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्ज्वलन व माल्यार्पण के साथ हुआ। बीज व्यक्तव्य में अरविंद भारत ने परवाज़ और डॉ. नसीमा निशा का सूक्ष्म परिचय कराया।
समारोह की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार मो.नसरुल्लाह ‘नसीर बनारसी’ ने परवाज़ को वर्तमान सामाजिक परिवेश, प्यार एहसास व करुणा के भावों की सशक्त अभिव्यक्ति कहा। विशिष्टअतिथि प्रो.वशिष्ठ अनूप ने परवाज़ को सरल हिंदी की सहज भाषा में ग़ज़ल की भाषाई ताजगी लिए युवा पीढ़ी के बेहद करीब बताया। मुख्य अतिथि संपादक कविताम्बरा, हीरालाल मिश्र ‘मधुकर’ ने कहा, परवाज़ का आसमान बहुत ऊंचा है और कलम में अक़ीदत को ज़िंदा रखने की कला है। राष्ट्रीय पत्रिका अखंड भारत के संपादक अरविंद भारत ने परवाज़ को सदी के पृष्ठ पर समय का सशक्त नेतृत्व करती, मानवी विश्व के लिए अमन का सहज संवाद व स्त्री की ऊर्जस्वित शक्ति का दर्पण बताया। समकालीन स्पंदन पत्रिका के संपादक धर्मेंद्र गुप्त साहिल ने परवाज़ को जीवन के विविध पक्षों को अभिव्यक्त करता अनूठा संग्रह कहा। कविराज कवि ने परवाज़ को निज़ी ज़िंदगी के सुख-दुःख, इश्क़-मोहब्बत के रंजोगम के तंग गलियों से निकलकर आम आदमी के संदर्भों और बेहतर जीवन से जुड़े तथ्यों का आईना कहा। समारोह का संचालन डॉ. अशोक सिंह ने भाव विभोर होकर किया। इसके साथ ही संग्रह परवाज़ पर गोविंद व्यथित,डॉ. लियाक़त अली ‘जलज’, अतहर बनारसी, नरोत्तम शिल्पी, योगेंद्र नारायण वियोगी, डॉ. दिनेश कुमार, कुमुद मिश्रा आदि ने वैचारिक वक्तव्य दिया।शहर के विभिन्न क्षेत्रों से डॉक्टर निशा की गज़लों के पाठक व श्रोताओं की उपस्थिति से सभागार उमड़ा रहा। समारोह में साहित्यिक समाज के वरिष्ठजनों सहित पत्रकारिता जगत से विरेंद्र कुमार श्रीवास्तव व डॉक्टर दयानंद श्रीवास्तव को स्मृति पत्र से सम्मानित किया गया। “परवाज़” संग्रह उस माँ की गज़लों का संग्रह है, जिसका आवरण चित्रकार बेटी “न्यासा फारिया” ने बनाया है।
समारोह में शहर बनारस के वरिष्ठ साहित्यकार हरेराम द्विवेदी, जितेंद्रनाथ मिश्र, करुणा सिंह, नमिता कुशवाहा, शबाना परवीन,
डॉक्टरअमीरुल्लाह, अहमदआज़मी, कखलील राही, आशिक़ बनारसी, आलोक सिंह,कविराज कवि,शम्भूनाथ पांडेय की गरिमामयी उपस्थिति रही। समारोह का आयोजन काशी काव्य संगम, अखण्ड भारतीय उत्थान समिति , सद्भावना व उद्गार संस्था के सामूहिक तत्वाधान में समपन्न हुआ। धन्यवाद ज्ञापन उद्गार से छतिस द्विवेदी “कुंठित” ने किया। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ अवधेश कुमार अवध ने टिप्पणी करते हुए इसे आम लोगों के सपनों का असली परवाज़ माना।

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