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शहीदों की शहादत को सलाम करते हैं,
जिस्मों-जान वतन के नाम करते हैं।
नमन है ऐसे वीर जवानों को ,वतन की खातिर जो जान भी कुर्बान करते हैं।
उनके दम से ख़ुशी हमने पाई है,
तिरंगा लहराते हम वतन की शान करते हैं।
याद आती है कुर्बानियां,निछावर
हम भी दिलो-जान करते हैं।
अर्पण करते हैं फूल भी शहीदों पर,
शहीदों का दिल से सम्मान करते हैं।
अमर रहेगी गौरव गाथा,
शहीदों पे हम अभिमान करते हैं।
झुक जाता है सारा जहां वीरों,
हम दिल से तुम्हें प्रणाम करते करते हैं।
#किशोर छिपेश्वर ‘सागर’
परिचय : किशोर छिपेश्वर ‘सागर’ का वर्तमान निवास मध्यप्रदेश के बालाघाट में वार्ड क्र.२ भटेरा चौकी (सेंट मेरी स्कूल के पीछे)के पास है। आपकी जन्मतिथि १९ जुलाई १९७८ तथा जन्म स्थान-ग्राम डोंगरमाली पोस्ट भेंडारा तह.वारासिवनी (बालाघाट,म.प्र.) है। शिक्षा-एम.ए.(समाजशास्त्र) तक ली है। सम्प्रति भारतीय स्टेट बैंक से है। लेखन में गीत,गजल,कविता,व्यंग्य और पैरोडी रचते हैं तो गायन में भी रुचि है।कई पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित होती हैं। आपको शीर्षक समिति ने सर्वश्रेठ रचनाकार का सम्मान दिया है। साहित्यिक गतिविधि के अन्तर्गत काव्यगोष्ठी और छोटे मंचों पर काव्य पाठ करते हैं। समाज व देश हित में कार्य करना,सामाजिक उत्थान,देश का विकास,रचनात्मक कार्यों से कुरीतियों को मिटाना,राष्ट्रीयता-भाईचारे की भावना को बढ़ाना ही आपका उद्देश्य है।
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Sat Aug 12 , 2017
बोल गए हो कैसी भाषा, जैसे निपट अनाड़ी जी। कौन देश भारत से अच्छा, जरा कहो अंसारी जी। हिन्दू-मुसलमान,सिक्ख-ईसाई, भाई-भाई नारा है। एक-दूजे के धर्म-कर्म में, रहता नेह हमारा है। विश्व को भी परिवार समझते, मारो नहीं कुल्हाड़ी जी। कौन देश भारत से अच्छा, जरा कहो अंसारी से। रोजा रखते […]