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न पीते गर तुम शराब,गांजा तो सोचो क्या होता,
तुम्हारे बीबी,बच्चे कितने रहते खुश और क्या-क्या होता।
तुम्हारे बच्चे अच्छे स्कूल में पढ़ते,नहीं कभी सिर नीचे होता,
सभी के सामने पापा को लाने में नहीं कोई झिझकपन होता।
खूब, हंसते-हंसाते,संग में अपने मम्मी-पापा के,और कितना मजा होता,
तुम भी अपने बच्चों के संग बड़े खुश होते,नहीं कोई तुमसे दूर होता।
एक सुंदर स्वस्थ परिवार कितना प्यारा होता,हर कोई-हर किसी का राजदार होता,
नहीं किसी को कोई संकोच होता,हर कोई-हर किसी का अपना भी होता।
हर किसी के तुम होते और हर कोई तुम्हारा होता,
तुम्हारा अपना संसार बड़ा सुंदर होता॥
#अरविंद ताम्रकार ‘सपना’
परिचय : श्रीमति अरविंद ताम्रकार ‘सपना’ की शिक्षा एमए(हिन्दी साहित्य)है।आपकी रुचि लेखन और छोटे बच्चों को पढ़ाने के साथ ही जरुरतमंद की सामर्थ्यानुसार मदद करने में है।आप अपने रचित भजन खुद गाकर व लेखन द्वारा अपने मनोभावों को चित्रित करती हैं। सिवनी(म.प्र.)के समता नगर में आप रहती हैं।
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