हर नदी के पास वाला घर तुम्हारा,
आसमां में जो भी तारा हर तुम्हाराl
बाढ़ आई तो हमारे घर बहे बस,
बन गई बिजली तो जगमग घर तुम्हाराl
तुम अभी भी आँकड़ों को गढ़ रहे हो,
देश भूखा सो गया है पर तुम्हाराl
तब तुम्हें कोई मदारी क्यों कहेगा,
छोड़कर जाएगा जब बंदर तुम्हाराl
ये ज़मीं इक दिन उसी के नाम पर थी,
वो जिसे कहते हो तुम नौकर तुम्हाराl
दूर उस फुटपाथ पर जो सो रहा है,
उसके कदमों में झुकेगा सर तुम्हाराll
परिचय: अंग्रेजी साहित्य में एम.ए.,एम.फ़िल.,डी. फ़िल. करने वाले डॉ. राकेश जोशी देहरादून के डोईवाला में स्नातकोत्तर महाविद्यालय में अंग्रेजी साहित्य के सहायक प्राध्यापक हैं। इससे पूर्व कर्मचारी भविष्य निधि संगठन(श्रम मंत्रालय, भारत सरकार) में हिन्दी अनुवादक के पद पर मुंबई में कार्यरत रहे। यहीं पर थोड़े समय के लिए आकाशवाणी विविध भारती में आकस्मिक उद्घोषक के तौर पर भी कार्य किया। इनकी कविताएं-ग़ज़लें अनेक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं। काव्य-पुस्तिका ‘कुछ बातें कविताओं में’, ग़ज़ल संग्रह ‘पत्थरों के शहर में’ तथा हिन्दी से अंग्रेजी में अनुदित पुस्तक ‘द क्राउड बेअर्स विटनेस’ भी प्रकाशित हुई है। डॉ. जोशी की ग़ज़लों में भी आमजन की पीड़ा एवं संघर्ष को सशक्त अभिव्यक्ति मिलती है। हिन्दी ग़ज़ल को आम बोलचाल की भाषा के क़रीब लाने का प्रयास करतीं इनकी ग़ज़लें सरल-सहज शब्दों के साथ हिन्दी ग़ज़ल की दुनिया में उपस्थिति दर्ज़ कराती हैं। आपका जन्म १९७० का है।