सच्ची राजकुमारी

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तो परसों हम बारत लेकर आ रहे हैं। ठीक चार बजे, दुल्हन को तैयार रखियेगा समधन‌ जी।

जी बिल्कुल, आपकी खातिर भी खुब करेंगे, हमने चॉकलेट, आइसक्रीम, यहां तक सुखे मेवे भी रखे हैं….समधन ने इतराते हुए अपनी गर्दन को दांए-बांए करते हुए कहा।

हां… हां….क्यों नहीं , हम जानते हैं आप बङ़े दिल वाली हो‌, मुझे तो लगता है ये सुंदर सी गाङ़ी भी अपने हमारे दुल्हे राजा के लिए ‌ही खरीद कर रखी है‌। पीछे खङ़ी चमचमाती सफेद गाङ़ी की ओर इशारा करते हुए वो‌ अर्थपूर्ण अंदाज में वो मुस्कुराया।

जी नहीं, जाइए…. आप जैसे लालची लोगों के यहां नहीं शादी करनी मुझे अपनी गुङिया के कहते हुए रत्ना ने अपनी पीठ फेर ली।

अरे रे…रे… आप तो बुरा मान गई।पहले ने कहा।

वैसे भी ये तो खेल की बात है, सब कुछ झुठ- मुठ का ही तो है।कौनसी सच्ची की गुङिया है, गाङ़ी भी तो खिलौना ही है…. कहते हुए दूसरे ने ठहाका लगाया।

आपके लिए होगा सब कुछ झुठ-मुठ….मेरे लिए तो मेरी गुड़िया सच्ची की राजकुमारी ‌है और मैं इसकी मां। देखना…. एक दिन राजकुमार ब्याह ले जाएगा इसे और वो भी बिना दहेज….कहते हुए रत्ना ने अपनी गुङ़ियों को अपने दुपट्टे में छुपा लिया।

डॉ पूनम गुजरानी
सूरत

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।