अब्र ने चाँद की हिफ़ाजत की,
चाँद ने खुद भी खूब हिम्मत कीl
आज दरिया बहुत उदास लगा,
एक कतरे ने फिर बग़ावत कीl
वो परिंदा हवा को छेड़ गया,
उसने क्या खूब ये हिमाक़त कीl
वक़्त मुंसिफ़ है फ़ैसला देगा,
क्या जरूरत किसी अदालत कीl
धूप का दम निकल गया आख़िर,
छांव होने लगी है शिद्दत कीl
#संजू शब्दिता
परिचय: संजू शब्दिता का जन्म स्थान भादर(अमेठी,उत्तरप्रदेश) में १९८४ का हैl आप वर्तमान में इलाहाबाद में रह रही हैंl शिक्षा एमए (हिन्दी साहित्य) के साथ ही `नेट` और जेआरएफ भी हैl अनेक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचित ग़ज़लें प्रकाशित होती रही हैl दो ग़ज़लों को सुप्रसिद्ध ग़ज़ल गायिका भारती विश्वनाथन ने स्वर दिए हैं। रेडियो से दो बार ग़ज़ल का प्रसारण हुआ है। वर्तमान में आप ‘समकालीन हिन्दी ग़ज़ल’ विषय पर शोधरत हैंl