तुमको ही जीता हूँ

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rishabh radhe
हर पल मैं हर लम्हा तुमको ही जीता हूँ,
जीने में मरने में,तुमको ही खोता हूँ।
बिन तेरे तन्हा-सा ,एकांकी फिरता हूँ,
सब कुछ खोकर साथी, बेफिकरा लगता हूँ।
मृग की में तिष्ण-सा,हर तरफा भगता हूँ,
जीने और मरने में बस आहें  भरता हूँ।
हर पल मैं,हर लम्हा तुमको ही जीता हूँ,
जीने में मरने में,तुमको ही खोता हूँ।
गीतों में ग़ज़लों में तुमको ही लिखता हूँ,
मंचों से मैं साथी,तुमको ही पढ़ता हूँ।
न है खुद ही की सुध,न है घरवालों की,
मैं साथी मरुस्थल की उगती-सी एक झाड़ी।
हर पल ………
हर पल की उलझन, जीवन की सुलझन में
बेबस-सा उलझा हूँ,
हर सांस-धड़कन में
गिरता हूँ उठता हूँ,फिर में चल देता हूँ।
हर तरफ हर गली,तुमको ही जीता हूँ
हर पल मैं हर लम्हा…..
हर पल मैं हर लम्हा तन्हा -सा रहता हूँ,
रोता हूँ हँसता हूँ,जीवन के जंगल में।
बिल्कुल तन्हा-सा में रहता हूँ पेड़ों-सा,
जैसे वो रहते हैं पतझड़ के मौसम में॥
                                                                             #ऋषभ तोमर(राधे)

परिचय : ऋषभ तोमर(राधे) मध्यप्रदेश के शहर अम्बाह (जिला मुरैना) में रहते हैंl इनकी आयु २० वर्ष है,और लिखने का शौक रखते हैंl 

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