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एक रुमाल ने किसी का मन
मोह लिया,
आपस मे दो युवा टकराए।
दोनों को ये क्या हो गया,
एक लड़की का रुमाल
राह चलते अचानक गिर गया।
हमदर्दी के नाते एक युवा ने
रुमाल उठाया,
इत्तफाक से लड़की भी रुमाल
उठाने झुकी।
दोनों आपस में टकराए,
नजरें मिली,शर्माए।
बातें हुई,मुस्कुराए,एक रुमाल ने
दोनों के परिचय कराए,
बातों ही बातों में अच्छे
दोस्त बन गए।
मिलने-मिलाने के आपस में
वादे हो गए,
मुलाकातों में दोस्ती धीरे-धीरे
बढ़ गई।
एक छोटे से रुमाल ने क्या
रिश्ता बनाया,
दोनों के दिलों को मिलाया।
रिश्ता धीरे-धीरे प्यार में
बदल गया,
रुमाल का बस ऐसा
कमाल हो गया॥
#अनन्तराम चौबे
परिचय : अनन्तराम चौबे मध्यप्रदेश के जबलपुर में रहते हैं। इस कविता को इन्होंने अपनी माँ के दुनिया से जाने के दो दिन पहले लिखा था।लेखन के क्षेत्र में आपका नाम सक्रिय और पहचान का मोहताज नहीं है। इनकी रचनाएँ समाचार पत्रों में प्रकाशित होती रहती हैं।साथ ही मंचों से भी कविताएँ पढ़ते हैं।श्री चौबे का साहित्य सफरनामा देखें तो,1952 में जन्मे हैं।बड़ी देवरी कला(सागर, म. प्र.) से रेलवे सुरक्षा बल (जबलपुर) और यहाँ से फरवरी 2012 मे आपने लेखन क्षेत्र में प्रवेश किया है।लेखन में अब तक हास्य व्यंग्य, कविता, कहानी, उपन्यास के साथ ही बुन्देली कविता-गीत भी लिखे हैं। दैनिक अखबारों-पत्रिकाओं में भी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं। काव्य संग्रह ‘मौसम के रंग’ प्रकाशित हो चुका है तो,दो काव्य संग्रह शीघ्र ही प्रकाशित होंगे। जबलपुर विश्वविद्यालय ने भीआपको सम्मानित किया है।
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Mon Nov 13 , 2017
(बाल दिवस विशॆष) नटखट बच्चे,चंचल बच्चे, लगते हैं सबको अच्छे बच्चे। न हो शोषण,न हो अन्याय इन पर, क्योंकि,ये ही हैं भारत का खिलता कमल। चाचा-मामा के चहेतों के संग चल, आओ बनाएं उज्जवल भारत का कल। अगर दिखें ये मजदूरी करते,भीख माँगते, चाय बनाते,कचरा बीनते,इनको रोकें। हम दस्तक अभियान […]